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लेखनी प्रतियोगिता -26-Nov-2022सुनहरे कंगन की तलाश



            सुनहरे कंगन की तलाश
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           आज सुरजा देवी ने अन्तिम साँस ली थी। उनके पति को अपने भविष्य की चिन्ता सतारही थी।क्यौकि उनकी पत्नी उनका बहुत खयाल रखती थी। अब उनको यही चिन्ता होरही थी की बाकी जीवन का क्या होगा।

       सुरजा देवी के पति रामनाथ खुलकर रो भी नहीं सकते थे। क्योकि उनका रोना देखकर लोग क्या सोचेगे। किस तरह की बातें कहेगे।

       रामनाथ ने अपनी पत्नी का अनतिम संस्कार किया उन्होंने तेरहवे दिन समाज मे प्रतिष्ठा के लिए भोज भी दिया।

      रामनाथ के दोबेटे व एक बैटी थी। तीनौ की शादी कर चुके थे। दोनों बेटे अलग अलग रहते थे। सुरजा देवी भी अकेली ही अपने पति के साथ रहती थी। वह किसी पर बोझ बनके नहीं रहना चाहती थी अतः वह आजाद पंछी की तरह अलग रहकर सुखी थी।

     परन्तु वक्त  कब बदल जाय इसका भेद किसी को नही  होता है यही सुरजादेवी के साथ हुआ एक रात वह अच्छी तरह से खाकर सोई थी। जब सुबह हुई उनका एक हिस्सा काम करना ही छोड़ गया।

        रामनाथ ने उनका अच्छे डाक्टर से इलाज करवाया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। वही ढाक के दो पात ।अब सुरजादेवी अपने सभी काम के लिए दूसरे के आधीन होगयी।

      रामनाथ ने उनके इलाज व सेवा में कोई कमी नहीं छोडी़ लेकिन ईश्वर के सामने इन्सान बेबस होजाता है।

     अब एक वर्ष बाद  वह रामनाथ का हाथ छुडा़कर चली गयी।

     एक दिन पत्नी के शोक मेंही एक बगीचे में बैठे सोच रहे थे। तब उनका बचपन का दोस्त गौरीशंकर आया और वह पूछने लगा," सुरजा इतना सोच किस लिए है  भाभी तो पहले ही कितनी परेशान थी। उनको मुक्ति मिलगयी सोच करना बन्द करो। हसी खुशी से रहो।

       सुरजा राम बोला," गौरी मुझे उसके जाने का शोक नही है अब चिन्ता यह है कि मेरा क्या होगा। यदि कुछ होगया तो सेवा कौन करेगा।

  गौरी शंकर बोला," मै तुझे एक उपाय बताता हूँ तू एक बक्से में ताला लगार रख और उसकी चाबी अपने साथ रखना। जब भी तेरी बहुऐ आती जाती दीखें तभी उस बक्से को खोलकर देखना और ताला लगाना। इससे तेरी बहुए समझेगी कि ससुर पर कोई मौटा गहना है इसलिए ताला लगाकर रखते है। इससे तेरी अच्छी सेवा होगी।

  सुरजा ने ऐसा करना शुरू करदिया।जब बहुए उसको बारम्बार ताला लगाती देखती  तब वह दोनो बहुएं सोचने लगी ससुरजी पर अवश्य कुछ गहने होगे जिनको वह पूरे  दिन  देखकर जीते है।

                एक दिन उनका दोस्त गौरी आया और बोला ," सुरजा यह ले तेरे सोने के कँगन इनको सम्भालकर रखलेना आजकल जमाना बहुत खराब है। बाद में मुझपर इल्जाम मत लगाना कि मैने बेईमानी करली। "

         "नहीं गौरी तू इतनी छोटी बात क्यौ कर रहा है। मैने सोने के कंगन बक्से में रखदिए है।" सुरजा बोला।

 अब यह बात उनकी बहुऔ ने सुनली और बडी़ बहू बोली ," देखले छोटी हमारा ससुर सोने के कंगन दूसरौ को तो देदेता है जबकि हमें आजतक उनके दर्शन भी नहीं कराये है।"

     "   सहीबात है दीदी एक काम करते है इसकी सेवा करकेइसे अपने जाल में फसाकर कैसे भी सोने के कंगन हड़पने की कोशिश करो। और एक दिन इसका बक्सा खाली करदो। '


      बडी बहू ने भी हाँ करदी और अब सुरजा की सेवा होने लगी। समय पर चाय व खाना मिल जाता था।और खूब सेवा होने लगी।

   सुरजा ने उनका हाथ कभी नही लगने दिया। और इसी बीच सुरजाराम भी स्वर्ग सिधार गया। दोनौ बहुऔ ने सुरजा के मरने के बाद जब उसकी अंटी से चाबी निकालकर सबसे पहले बक्सा खोलकर देखा उसमें नकली  सोने के कंगन निकले जिनको देखकर दोनों ने अपना माथा पकड लिया और बुदबुदाने लगी ," बुड्ढा धोका कर गया। "


आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "









      

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5 Comments

Gunjan Kamal

06-Dec-2022 02:53 PM

बहुत खूब

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Abhinav ji

27-Nov-2022 08:04 AM

Very nice sir 😂😂

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